तार भूमिगत होने पर लगभग 74000 उपभोक्ताओ को मिलेगी राहत की सांस
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ऋषिकेश। शहर में सड़कों और गंगा घाटों से बिजली की तारों को हटाकर उन्हें भूमिगत करने की तैयारी ऊर्जा निगम ने शुरू कर दी है। करीब 300 किलोमीटर लाइनों को अंडरग्राउंड करने की योजना बनाई गई है, जिस पर लगभग ढाई सौ करोड रुपए खर्च का एस्टीमेट बनाकर उसे डीपीआर के शकल में मुख्यालय को जल्द ही भेजा जाएगा। ऐसा होने से जहां उपभोक्ताओं के निर्बाध बिजली मिल सकेगी। वही फाल्ट और ट्रिपिंग की दिक्कत से भी छुटकारा मिलेगा।
ऊर्जा निगम की ऋषिकेश की डिवीजन ने यह क्यावाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद शुरू की है। इससे 33 केवी, एसटी और अन्य आईटी लाइनों को भूमिगत किया गया जाना है। वैसे पूरे डिवीजन क्षेत्र में लगभग 600 किलोमीटर लाइन सड़कों यदि बिजली के खम्बे के सहारे विद्युत स्टेशन से जुड़ी है, लेकिन इसमें शुरुआती चरण में नागरिक क्षेत्र में 300 किलोमीटर लाइनों को भूमिगत करने की डीपीआर बनाई जा रही है। सितंबर तक लाइनों को भूमिगत करने का यह एस्टीमेट तैयार होकर ऊर्जा निगम के मुख्यालय तक पहुंचाने की उम्मीद है, इसके बाद इन लाइनों को अंडरग्राउंड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। लाइने भूमिगत होने से न सिर्फ आंधी तूफान में नगर क्षेत्र के उपभोक्ताओं को निर्वाध रूप से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी, बल्कि खुले में गुजरने वाली लाइनों की वजह से होने वाले हादसे रुकेंगे। हालांकि मुख्यमंत्री ने लाइनों को भूमिगत करने के लिए 547 करोड रुपए खर्च करने की घोषणा की है मगर इसमें हरिद्वार भी शामिल है।
पहले इन क्षेत्रों में भूमिगत होंगे बिजली के तार
विद्युत लाइनों को भूमिगत करने के लिए ऊर्जा निगम की ऋषिकेश डिवीजन ने नगर क्षेत्र की सड़के और सार्वजनिक स्थान चिन्हित किए हैं जिसमें त्रिवेणी घाट,संयुक्त बस यात्रा अड्डा,हरिद्वार रोड,शिवाजी नगर,टिहरी का विस्थापित क्षेत्र देहरादून रोड, रेलवे रोड, बस यात्रा अड्डा मार्ग इन सड़कों सार्वजनिक स्थान व आबादी वाले इलाकों में प्रथम चरण में विद्युत लाइनों को भूमि किया जाएगा। यह होता है, तो शहर की सड़कों पर बिजली के खम्बे पर तारों का जंजाल पूरी तरह से गायब हो जाएगा। इससे शहर का सौंदर्य भी निखर कर सामने आएगा।
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