H3N2 वायरस का खतरा, रहें सावधान, इन बातों का रखें खास विशेष ध्यान
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उत्तराखंड में भी सीजनल इंफ्लूएंजा को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। जिसको लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
इस संबंध में अब शासन ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी किया है। इसमें इस बीमारी के बचाव और प्रभावी रोकथाम संबंधी निर्देश दिए गए हैं। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पत्र में कहा गया है कि अस्पतालों के स्तर पर इंफ्लूएंजा से संबंधित मामलों की सघन निगरानी, प्रभावी रोकथाम के लिए रोगियों का वर्गीकरण करने, क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल, होम केयर, सैंपल एकत्र करने की प्रक्रिया अलग की जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि सभी जिला, बेस, संयुक्त चिकित्सालयों में इलाज के लिए आइसोलेशन बेड, वार्ड, आईसीयू, वेंटिलेटर आदि की व्यवस्था करने को कहा गया है। इंफ्लूएंजा के मामले में रोगी की पहचान, त्वरित उपचार व मरीज की गंभीर हालत में रेफर करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि उपचार के साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जाए।
एच3एन2 वायरस क्या है?
इनमें से ज्यादातर मामले एच3एन2 वायरस की वजह से हो रहे हैं। ये एक तरह का इंफ्लूएंजा ए वायरस है, जो बहुत गंभीर है लेकिन ये एच1एन2 यानि स्वाइन फ्लू जितना खतरनाक नहीं है जो महामारी फैला देता है. ये वायरस एक तरह का इंफ्लूएंजा वायरस है। ये एक श्वसन वायरल इंफेक्शन है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है। इस तरह के इंफ्लूएंजा ए वायरस के सबटाइप को साल 1968 के दौरान इंसानों में पाया गया था।
लक्षण
H3N2 वायरस के लक्षणों में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, दस्त और उल्टी शामिल हैं। इंफ्लूएंजा वायरस को 4 हिस्सों ए, बी, सी और डी में बांटा गया है। इन्फ्लूएंजा वायरस ए और बी फ्लू की मौसमी महामारी की वजह से मरीजों को होता है, इसमें अधिकतर मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है। यह समस्या लगभग हर साल मरीजों को होती है। कुछ इन्फ्लुएंजा ए सब-वैरिएंट जैसे- H1N1 (स्वाइन फ्लू वायरस) और H3N2 अधिक गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
इन बातों का रखें खास ख्याल
इस वायरस से बचाव बेहद जरूरी है। किसी भी तरह के वायरल संक्रमण को रोकने के लिए जो सावधानियां बरती जाती हैं, उनमें सबसे पहले टीकाकरण करना शामिल है। इसके अलावा अपने हाथों को साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से साफ करें और सैनिटाइज भी करें। मास्क पहनने वाले या फिर बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें। अगर आपको छींक या खांसी आती है तो ऐसे में रूमाल का इस्तेमाल करें या फिर ऐसा करते वक्त अपने मुंह को कवर करके रखें।
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