दलित सफाई कर्मियों को जीने का कोई अधिकार नहीं है
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ऋषिकेश। जिलाधिकारी कार्यालय देहरादून से एकत्र होकर, अर्ध नग्न होकर समस्त निकायों से लगभग 500 सफाई कर्मी, काली पट्टी बांधकर, हाथो में तख्तियां लेकर, नारे लगाते हुए गवर्नर हाउस, कैंट रोड, हाथीबहकला की और पैदल मार्च करते हुए, मा. गवर्नर महोदय जी से “इच्छा मृत्यु की मांग करेंगे ।
दिनांक : 15/03/2024, दिन शुक्रवार समय प्रातः 11:00 बजे से मृत्यु स्वीकृति मिलने तक ।
उपरोक्त विषयक, अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ – 9742 शाखा उत्तराखण्ड निरंतर डॉ ललित मोहन रयाल जी की तीनो कमेटीयों की सिफारिश लागू कराए जाने हेतु पिछले दो वर्षों से संघर्ष कर रही हैं। हजारों कर्मचारियों ने सरकार / शारान द्वारा संज्ञान न लिये जाने के कारण 14 दिसंबर 2023 को प्रेषित ज्ञापन के क्रम में 15 जनवरी 2024, 21 जनवरी 2024 को दो बार सामूहिक गिरफ्तारियां, मशाल जुलुस, पोस्ट कार्ड कैम्पेन, अनशन तथा 12 फ़रवरी 2024 को पुनः सचिवालय घेराव कर अपना विरोध दर्ज कराया था। परन्तु 12 फ़रवरी 2024 को प्रमुख सचिव जी से हुई वार्ता के क्रम में कोई भी निराकरण नहीं हुआ। जिसके कारण 07/मार्च/ 2024 को हमने पुन अनशन शुरू किया, उक्त अनशन को समाप्त कराने हेतु जिलाधिकारी देहरादून, सिटी मजिस्ट्रेट देहरादून ने शासन से फोन पर हुई बातचीत के आधार पर सोमवार 11/03/2024 को मुख्य सचिव से वार्ता कराएं जाने का भरोसा दिलाया था। परन्तु आज 12/03/2024 तक भी हमारी समस्याओं का कोई निराकरण व विधिवत वार्ता नहीं हुई है। विवश होकर हम मा. राज्यपाल महोदय जी से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं। जिस कल्याणकारी राज्य में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व मंत्रिमंडल के पास अति वंचित वर्ग सफाई कर्मियों की समस्याओं को दूर करने हेतु वार्ता का भी समय न हो ऐसे राज्य में दलित सफाई कर्मियों को जीने का कोई अधिकार नहीं है।
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