मुख्य मार्गों से अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो इसका खामियाजा आम जनता को झेलना पड़ेगा।
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ऋषिकेश। एक ओर जहां देशभर से शिवभक्तों की टोलियां कांवड़ यात्रा के लिए तीर्थनगरी पहुंच रही हैं, वहीं शहर का सुस्त प्रशासन अब भी मुख्य मार्गों से अतिक्रमण हटाने को लेकर निष्क्रिय नजर आ रहा है।
नगर में चल रही बैठकों का कोई ज़मीनी असर दिखाई नहीं दे रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो इस बार कांवड़ यात्रा के दौरान भारी अव्यवस्था और जाम की स्थिति स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। कांवड़ यात्रा इस समय अपने चरम पर है। हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश और आगे तक शिवभक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। प्रशासन की ओर से लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन जमीन पर अमल बेहद कमजोर है।
मुनि की रेती क्षेत्र में नगर पालिका समय-समय पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाती रहती है, जिससे वहां की सड़कों पर यातायात व्यवस्था कुछ हद तक दुरुस्त रहती है। लेकिन दूसरी ओर ऋषिकेश में नगर निगम और प्रशासन की ढिलाई साफ तौर पर देखी जा सकती है। अतिक्रमण हटाने की बात तो की जा रही है लेकिन असल कार्रवाई मुख्य मार्गों पर नहीं हो पा रही है। कुछ छोटी दुकानों को हटाकर खानापूर्ति जरूर की गई, मगर कोयल घाटी से लेकर कैलाश गेट तक का इलाका अतिक्रमण से जूझ रहा है।
बदरीनाथ राष्ट्रीयराज मार्ग हेमकुंट गुरूद्वारे के पास और अन्य मुख्य मार्गो पर दुकानों और ठेलियों का कब्जा इस कदर बढ़ चुका है कि पैदल चलने की भी जगह नहीं बची है। कांवड़ यात्रा के दौरान इन मार्गों से हजारों की संख्या में शिवभक्त गुजरते हैं, ऐसे में सड़क संकरी हो जाना और जाम की स्थिति आम बात हो जाती है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि आपात स्थिति में एंबुलेंस या सुरक्षा वाहनों का निकल पाना भी मुश्किल हो सकता है।
- स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ बैठकों तक सीमित रह गया है, जबकि ज़रूरत है तत्काल प्रभावी कार्रवाई की। यदि जल्द ही मुख्य मार्गों से अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो इसका खामियाजा आम जनता को झेलना पड़ेगा।
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