जी–20 में आने वाले विदेशी मेहमानों को त्रिवेणी संगम कैसे दिखा पाएंगे
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ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट को त्रिवेणी इसलिए कहा जाता है कि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। लेकिन प्रचार के अभाव में आमजन और बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान महज एक गंगा घाट बन कर रह गया है।
त्रिवेणी घाट पर हर दिन गंगा आरती होती है। दशहरे के मेले में यहां हजारों लोग अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक रावण मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन देखने आते हैं। बसंत पंचमी के मौके पर भगवान भरत जी महाराज की डोली को यहां लाकर स्नान कराया जाता है। पूरे वर्ष यहां बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्र से देव डोलियां भी स्नान के लिए यहां लाई जाती है।
पर्वतीय हिमालय क्षेत्र से गंगा ऋषिकेश में आकर मैदान की ओर बढ़ती है। इसी के तट पर यमुना जी का कुंड है, जिसे ऋषि कुंड भी कहा जाता है। सरस्वती नदी को कुछ अता पता नहीं जिस स्थान को सरस्वती नदी का उदगम स्थान बताते है वह नाले के रूप में देखने को मिलता है ।
ऐसे में जी–20 में आने वाले विदेशी मेहमानों को त्रिवेणी संगम कैसे दिखा पाएंगे। या फिर उन्हे भी कही झूठ ही ना परोसा जाए।
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